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राहुल द्रविड़: भारतीय क्रिकेट का ‘द वॉल’

प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट करियर की शुरुआत

राहुल द्रविड़ का जन्म 11 जनवरी 1973 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बेंगलुरु, कर्नाटक में संपन्न हुई। बचपन से ही क्रिकेट के प्रति उनका गहरा लगाव था, और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। द्रविड़ की क्रिकेट की यात्रा यहीं से प्रारंभ हुई, जो आगे चलकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गई।

बचपन में ही उनकी प्रतिभा को पहचानने वाले कोचों ने उनकी क्रिकेट यात्रा को सही दिशा दी। उन्होंने विभिन्न स्कूली और स्थानीय टूर्नामेंटों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने कॉलेज क्रिकेट में भी अपनी पहचान बनाई, जिससे उनकी प्रतिभा और मेहनत को और भी प्रोत्साहन मिला।

द्रविड़ ने अपने घरेलू क्रिकेट करियर की शुरुआत कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए की। इस टूर्नामेंट में उनके लगातार अच्छे प्रदर्शन ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। रणजी ट्रॉफी में उनके उत्कृष्ट बल्लेबाजी प्रदर्शन ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया और 1996 में उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया गया।

भारतीय टीम में चयन से पहले द्रविड़ ने कई महत्वपूर्ण पारियां खेली थीं, जो उनके तकनीकी कौशल और धैर्य का प्रमाण थीं। उनकी बल्लेबाजी शैली और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाया। शुरुआती दिनों में ही उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू में 95 रनों की पारी खेली, जिसने उनके करियर को एक मजबूत आधार प्रदान किया।

राहुल द्रविड़ के प्रारंभिक जीवन और क्रिकेट करियर की यह यात्रा न केवल उनकी प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि उनके अनुशासन और मेहनत का भी परिचायक है। इन प्रारंभिक सफलताओं ने उनकी क्रिकेट यात्रा को मजबूत नींव प्रदान की, जिससे वे भारतीय क्रिकेट के ‘द वॉल’ बन सके।

अंतरराष्ट्रीय करियर और उपलब्धियाँ

राहुल द्रविड़ के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट से हुई थी। अपनी पहली ही पारी में 95 रन बनाकर उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद उन्होंने भारतीय टीम के ‘द वॉल’ के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके टेस्ट करियर में 164 मैचों में 13288 रन शामिल हैं, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल हैं। वनडे करियर में भी उन्होंने 344 मैचों में 10889 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 83 अर्धशतक शामिल हैं।

राहुल द्रविड़ की महत्वपूर्ण पारियों में 2001 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वीवीएस लक्ष्मण के साथ 376 रनों की साझेदारी, 2003 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 233 और 72 नाबाद रन, और 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंघम में 117 रन शामिल हैं। उनकी इन पारियों ने भारत को महत्वपूर्ण जीत दिलाने में मदद की।

द्रविड़ के कप्तान के रूप में कार्यकाल भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने 2005 से 2007 तक भारतीय टीम की कप्तानी की और उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 2006 में वेस्टइंडीज में 35 साल बाद टेस्ट सीरीज जीती। द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने 2007 में इंग्लैंड में भी टेस्ट सीरीज जीती।

रिटायरमेंट के बाद राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट में कोचिंग के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने अंडर-19 और इंडिया ए टीम को कोचिंग दी और कई युवा खिलाड़ियों को तैयार किया। उनकी कोचिंग में भारतीय अंडर-19 टीम ने 2018 में विश्व कप जीता। वर्तमान में, राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट में नेशनल क्रिकेट अकादमी के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं, जहां वे युवा खिलाड़ियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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